नरक के तीन द्वार होते है – वासना, क्रोध और लालच | Motivational Story in hindi

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आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे जो हमें समझाता है कि जीवन में सफल होने के लिए हमें क्या नहीं करना चाहिए। हमारी चर्चा का विषय है “नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।” ये तीनों गुण हमें नहीं करने चाहिए क्योंकि इनसे हमारा नुकसान होता है।

नरक के तीन द्वार होते है – वासना, क्रोध और लालच।

अब हम इन तीनों गुणों को एक-एक करके जानते हैं।

  1. पहला द्वार वासना का है, जो व्यक्ति के मन को दुखाता है और उसे बुरे काम करने के लिए प्रेरित करता है। 
  2. दूसरा द्वार क्रोध का है, जो व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकता है और उसे अपने काम को बिगाड़ने के लिए प्रेरित करता है। 
  3. तीसरा द्वार लालच का है, जो व्यक्ति को वैभव और धन की भावना से भर देता है और उसे खुशनुमा जीवन जीने की बजाय अधिक धन और सम्पत्ति की तलाश में लगा देता है। 

इन तीनों द्वारों से परे रहकर हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। यह हमें समझना चाहिए कि सफलता और संपत्ति के लिए हमें केवल धन और संपत्ति का होना आवश्यक नहीं है। हमारे लिए ज्ञान, विचार, उत्साह और नैतिक मूल्य भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

Motivational Story in hindi 

यह कहानी है एक राजा की जो नरक की यात्रा करते समय एक विशिष्ट अनुभव करते हैं। उन्हें वहां तीन द्वार दिखाई देते हैं जो नरक के थे। वे उन द्वारों के बारे में जानना चाहते हैं ताकि वे अपने जीवन में उन्हें दूर कर सकें।

पहले द्वार का नाम था ‘वासना’। वहां पहुंचने पर उन्हें वहां देखा गया कि लोग वहाँ अपनी वासनाओं और आकांक्षाओं का गुलाम हो रहे हैं। लोग इतने अधीन हो गए थे कि वे अपने वासनाओं के बिना जी नहीं सकते थे। राजा ने यह समझा कि वहां के लोग अपनी वासनाओं से जीते हुए नहीं बल्कि उनकी वासनाओं से हारते हुए हैं।

दूसरे द्वार का नाम था ‘क्रोध’। उन्हें वहां पर देखा गया कि लोग एक दूसरे से लड़ रहे हैं और एक दूसरे पर उन्मादपूर्वक हमला कर रहे हैं। उन लोगों के बीच में जो एक दूसरे के साथ अधिक सहयोग करने का प्रयास कर रहे थे, वे भी उनकी नजरों में नहीं थे। राजा ने समझा कि लोग अपने क्रोध के बल पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं और उन्हें यह नहीं समझ आ रहा कि सहयोग से वे अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। राजा को खेद हुआ कि उनकी प्रबंधन व्यवस्था इतनी बेकार हो गई है कि लोगों में इतना असंगठितता आ गया है। उन्होंने फिर से लोगों से बात करते हुए उन्हें उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए सहयोग करने की अपील की। धीरे-धीरे लोगों की मुख्य ध्येय एक साथ काम करने के लिए बदल गया और वे सहयोग से समस्याओं को हल करने लगे।

तीसरे द्वार का नाम था ‘लालच’। यहां पर लोग दूसरों से ज्यादा धन और संपत्ति प्राप्त करने के लिए दूसरों को धोखा देते थे। लोग एक दूसरे के विरुद्ध काम करने लगे और अपनी लालच के बल पर आगे बढ़ने की कोशिश करते थे। राजा ने फिर एक बार उन लोगों से मुलाकात की और उन्हें समझाया कि धन और संपत्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण चीजें होती हैं जैसे समझदारी, सहयोग, और समानता। उन्हें बताया गया कि यदि वे धन और संपत्ति के पीछे भागते रहेंगे तो वे अपनी असली खुशी और समृद्धि से वंचित रहेंगे।

राजा ने इन तीनों द्वारों से गुजरने वाले लोगों को यह समझाया कि ये वासनाएं, क्रोध और लालच उन्हें नरक में ले जाने वाली हैं। राजा ने उन्हें यह बताया कि सच्ची सुख और समृद्धि उन्हें उनके भीतर ही मिल सकती है जब वे अपनी वासनाओं, क्रोध और लालच से मुक्त होंगे।

वासना, क्रोध और लालच – Motivational Story

Summary – सारांश 

यह हमें समझना चाहिए कि हमारी खुशियों का अधिकतम हिस्सा हमारे अंदर होता है। हमें अपनी आत्मसम्मान और सम्मान को महत्व देना चाहिए और दूसरों को भी उसका सम्मान देना चाहिए। हमें लालच के चक्र से बाहर निकलना चाहिए और अपने जीवन के सच्चे मकसदों के लिए काम करना चाहिए।

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