जैसे को तैसा की कहानी भारतीय लोककथाओं और पंचतंत्र की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। यह कहानी चालाकी, ईमानदारी और न्याय की बात करती है। इसमें बताया गया है कि जो जैसा व्यवहार करता है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। इस लेख में, हम इस कहानी को विस्तार से समझेंगे, ताकि पाठकों को कहानी के मुख्य संदेश को आसानी से समझने में मदद मिले।
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चालाक बनिया और बेईमान साहूकार
सीतापुरी गांव में जीर्णधन नाम का एक गरीब बनिया रहता था। वह बहुत ईमानदार था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। एक दिन उसने सोचा कि वह विदेश जाकर व्यापार करेगा और अपनी हालत सुधारने की कोशिश करेगा।
लेकिन समस्या यह थी कि उसके पास पैसे नहीं थे। उसके पास केवल एक लोहे का तराजू था जो बहुत मूल्यवान था। उसने अपने गांव के एक साहूकार के पास जाकर तराजू को गिरवी रख दिया और बदले में कुछ पैसे उधार लिए। उसने साहूकार से वादा किया कि वह लौटकर पैसे चुकाकर तराजू वापस ले लेगा।
दो साल बाद जीर्णधन विदेश से वापस लौटा। उसने मेहनत से पैसा कमाया था और अब वह अपने तराजू को वापस लेना चाहता था। जब वह साहूकार के पास गया और अपना तराजू मांगा, तो साहूकार ने कहा, “तुम्हारा तराजू तो चूहों ने खा लिया।”
जीर्णधन यह सुनकर समझ गया कि साहूकार झूठ बोल रहा है। उसने तुरंत एक योजना बनाई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं। चूहे लोहे का तराजू खा सकते हैं, तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है।”
थोड़ी देर बाद जीर्णधन ने साहूकार से कहा, “मैं नदी में नहाने जा रहा हूं। अगर तुम्हें ठीक लगे तो अपने बेटे धनदेव को मेरे साथ भेज दो।”
साहूकार ने सोचा कि जीर्णधन सीधा-सादा आदमी है और उसका बेटा सुरक्षित रहेगा। उसने अपने बेटे को जीर्णधन के साथ भेज दिया।
नदी पर पहुंचने के बाद, जीर्णधन ने साहूकार के बेटे को एक गुफा में बंद कर दिया और गुफा का दरवाजा एक बड़े पत्थर से ढक दिया। फिर वह अकेला साहूकार के घर वापस आ गया।
साहूकार ने जब जीर्णधन को अकेले लौटते देखा, तो घबरा गया। उसने पूछा, “मेरा बेटा कहां है?”
जीर्णधन ने शांत भाव से कहा, “मुझे खेद है, तुम्हारे बेटे को चील उठाकर ले गई।”
साहूकार गुस्से से चिल्लाया, “यह कैसे हो सकता है? चील इतने बड़े लड़के को कैसे उठा सकती है?”
जीर्णधन ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, “जिस तरह चूहे लोहे का तराजू खा सकते हैं, उसी तरह चील भी बच्चे को उठा सकती है।”
साहूकार यह सुनकर दंग रह गया। उसने तुरंत अपनी गलती मानी और जीर्णधन का तराजू वापस कर दिया। जीर्णधन ने भी गुफा से साहूकार के बेटे को सुरक्षित बाहर निकाल दिया।
जैसे को तैसा कहानी से सीख
चालाक बनिया और बेईमान साहूकार की कहानी जैसे को तैसा हमें सिखाती है कि “जो जैसा व्यवहार करेगा, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।” ताकि उसे अपने गलती का एहसास हो। इस कहानी से हमें यह भी समझना चाहिए कि किसी के साथ बेईमानी करना हमें मुसीबत में डाल सकता है।
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